Tuesday, July 29, 2008

भविष्य की चुनौतियाँ

प्राचीनतम भारतीय सभ्यता अब केवल रूम डेकोरेशन का सिम्बल बनती जा रही है। प्रत्येक सौ - दो सौ वर्षों में विश्व में परिवर्तन होते आए हैं। इन परिवर्तनों से समाज और देश में बहुत से सुधार भी हुए। समाज की उत्तरोत्तर उन्नति के साथ ही क्रमिक विकास हुआ। अनेक आविष्कार हुए। पहनने, खाने, निर्माण करने और मनोरंजन के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र मे भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। समाज का सबसे बड़ा वर्ग 'युवा वर्ग ' इससे आसानी से प्रभावित हुआ। नित नए आविष्कारों से आकर्षित होकर 'युवा वर्ग' आधुनिकता मे लिप्त होने लगा। इससे उसकी याददाश्त और कार्य करने की क्षमता दोनों मे ही असर पड़ा। नवीन तकनीकों पर हद से ज्यादा आश्रित होने से उसकी मेमोरी क्षीण होने लगी। माउस के एक क्लिक से मनचाही जानकारी की उपलब्धता उसकी कमजोरी बनने लगी। उसकी शारीरिक क्षमताओं पर भी विपरीत प्रभाव दिखाई देने लगे। ज्ञान और शक्ति के साथ यदि शारीरिक बल , विकसित होने के बदले कम होने लगे तो निश्चय ही यह चिंता का विषय है। अपने बौध्दिक बल और स्वस्थ शरीर को दृढ़ बनाएं तथा आधुनिक तकनीकों के प्रयोग के बाद व्यायाम अवश्य करें।

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