Monday, July 21, 2008

स्वागत * * * * *

करते आज तुम्हारा स्वागत, मेरे नेह पधारो।
करुणा के बिखरे इस क्षण में, जीवन ज्योत जगाओ।
उमड़ -घुमड़ आशाओ के घन, पथ में बाग लगाओ।
मधुरा कलरव तरुण पल्लवित, सौरभ गीत सुनाओ।
कनुप्रिया के सजल चक्षु में, मिलन के भाव जगाओ।
नूपुर सी झनके तरुनाई, ऐसा राग सुनाओ।
स्वागतम * * * * * *

1 comment:

मयूर said...

bloging ki dunia main aapka bahut bahut swagat ,shubhkamnayein
ems main bhi blogging ki alakh jagain.

dhanyawad