प्रकृति ने हमें ये दिया, वो दिया, भेदभाव नहीं किया, ये बातें लगभग हर चौथा व्यक्ति करता है। परन्तु उस प्रकृति की देखभाल और रक्षा करने की बात करने वाले चंद लोग ही होते हैं, जो पेड़ लगाकर, पेडो को काटने से बचाकर पर्यावरण को समृद्ध कर रहे हैं। हम सभी जानते हैं की पौधे लगाने और उनकी उचित देखभाल से ही हमारा पर्यावरण हरा-भरा रहेगा। फ़िर भी हम अपने लिए मकान बनाने के लिए, होटल बनाने के लिए और अन्य जरूरतों के हिसाब से पेड़ काटकर ज़मीं को खाली करते हैं और भूल जाते हैं की प्रकृति और पर्यावरण का क्या होगा। सभी से कहना सिर्फ़ इतना है की अपने भविष्य का ध्यान रखते हुए यह करे की यदि एक पेड़ कांटे तो कहीं भी उचित स्थान देखकर एक पेड़ लगा अवश्य दे और उसकी देखभाल करे। यदि आपको कहीं जगह नही मिलती तो किसी मन्दिर में पेड़ लगवा सकते हैं।
Wednesday, August 20, 2008
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2 comments:
वाह! प्रेरक-बहुत सुन्दर.बधाई.
maine aaj aapka lekh 'ander ki bat-bahar ki bat' padha.Aap bahut uchch likhte hain.
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