इस बार हरियाली अमावस्या कुछ खास रहेगी। क्योंकि सूर्योदय होते ही सूर्य अस्ताचल में प्रवेश कर जायगा। लगभग दो घंटे के बाद सूर्य दिखाई देगा। वैसे बादलों का भी असर हो सकता है। कहा जा रहा है की यह योग १९४४ के बाद आया है। इस दिन का लोगों को वर्षों से इंतजार था। ऐसी मान्यता है की सूर्यग्रहण के दौरान किसी मंत्र को सिद्ध किया जाय तो वह अधिक असर कारक होता है। सभी को सूर्यग्रहण के समय अपने इष्ट की आराधना करना चाहिए जिससे सभी संभावित कष्टों को टाला जा सके। नियमित दिनचर्या में थोड़ा सा परिवर्तन कर ले। कोशिश करें की सूर्यग्रहण के समय ध्यान करें। यह ध्यान आपको डर के कारण नही करना है, बल्कि सहत भाव से करना है।
लगभग ६५ वर्ष बाद हो रहे इस सूर्य ग्रहण को हमारे मध्य प्रदेश के आलावा उत्तर प्रदेश, बिहार तथा कई निचले हिस्सों में देखा जा सकेगा। अनेक मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ आयोजित किए जा रहे हैं। एक हिंदू मान्यता के अनुसार ग्रह के दौरान भोजन नही किया जाता। ग्रहण पूर्ण होने पर स्नान-दान करने के बाद ही भोजन करते है। यह बात पढ़े-लिखे लोगों को उचित नही लगती परन्तु विज्ञानं की दृष्टि से भी यह मन जाता है की ग्रहण के समय खाने-पीने से बचना चाहिए.
बुजुर्गों और बच्चों के लिए छूट होती है। यदि सहन न हो तो उन्हें तुलसी की पत्ती डालकर खिलाया जा सकता है। आप भी अपने घर में दूध, पीने के पानी, पके हुए भोजन आदि में तुलसी की पत्ती डालकर रखें।
Saturday, July 18, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
बहुत विशेष जानकारी प्रदान करायी है आपने, शुक्रिया!
---
पढ़िए: सबसे दूर स्थित सुपरनोवा खोजा गया
सूचना के खयाल से ठीक आलेख। सूर्यग्रहण को मात्र एक सामान्य खगोलीय घटना के ही रूप में देखा जाना चाहिए। शुभकामना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत अच्छी जानकारी प्रदान की आपने.....धन्यवाद।
Post a Comment