हम क्या चाहते हैं?
जो कहना वो कह नही पाते,
जो लिखना वो लिख नही पाते,
जो बनाना वो बना नही पाते ,
जो दिखाना वो दिखा नही पाते,
जहाँ जाना वहन जा नहीं पाते,
आखिर कब ख़त्म होगी यह आपाधापी की दौड़?
इसी की तलाश है,
कभी तो समय हमारा होगा,
जब हम जो चाहेंगे वो कहेंगे,
जिससे चाहेंगे उससे कहेंगे,
जो चाहेंगे वो लिखेंगे,
जिसे चाहेंगे उसे सुनायेंगे,
जो चाहेंगे वो दिखायेंगे,
जिसे चाहेंगे उसे दिखायेंगे
यही तो जीने का उत्साह है * * * *
4 comments:
आखिर कब ख़त्म होगी यह आपाधापी की दौड़?
बहुत सही और सच फ़रमाया. नव वर्ष में आपकी लेखनी नए मुकाम हासिल करे ऐसी मंगल कामना के साथ
उम्मीद करते हैं, नये साल में सुन्हरा दौर ज़रूर आयेगा.
आपको नव वर्ष कि शुभकामनाएं!
nice
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