सुना है शांति नाम है उसका,
किसी से कोई गिला नहीं, न किसी से कोई शिकवा।
न मिलने का सुख, न बिछड़ने का दुःख।
फिर भी सोचा मिल लूं।
देखना चाहा दिखी नहीं,
लोगों से पूछा पर पता न पाया।
क्या तुमने उसे देखा है?
दिखे तो दिखाना, मिले तो मिलाना।
मेरा पता ले लो,
बताना बुलाया है।
हो सका तो निमंत्रण भेज दूंगी,
मेसेज करुँगी या ईमेल कर दूंगी।
मेरे घर का सीधा-सादा पता है।
न दाये मुड़ना न बांये जाना,
वहां से निकलकर इधर आ जाना।
मै कब से उसी शांति को खोजती हूँ,
उसकी हर पल बाट जोहती हूँ.
No comments:
Post a Comment