आज विद्या देवी सरस्वती की पूजा है। मंदिरों और शालाओं मै पिछले कई दिनों से वसंतोत्सव मानाने की तैयारियां चल रही थी। प्रकृति की सुन्दरता का यह पर्व हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। पिली सरसों से खेत और पीले गेंदे के फूलों से बाग मनमोहक लगते हैं। आधुनिकता की भागदौड़ मै भी अनायास ही इन पर ध्यान चला जाता है। अब झूले और मेलो का कई निश्चित समय तो नहीं रहा, फिर भी मंदिर प्रांगन मै झूले डाले जाते है। ठण्ड के कम होने का एहसास तो कल रत से ही होने लगा है। आज केसरिया चावल विशेष रूप से बनाये jअ ते है।
Wednesday, January 20, 2010
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