चारो ओर छा रही है, पीली पीली छटा।
मुखर हो रहा मन मेरा।
आया वसंत, ले आया फ़िर
प्रीत मिलन की खुशियाँ।
गीत गा रही मधुर मिलन के,
मन की खिलती बगिया।
सदा की तरह इस बार भी वसंत बहार छाने लगी है। गर्मी की हलकी शुरुआत और ठण्ड की विदाई से सब रोमांचित हो रहे हैं। पर यह खुशी कुछ ही पलों की होती है। गर्मी की चिलचिलाहट से हम सभी बहुत घबराते हैं।
Tuesday, January 27, 2009
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