चारो ओर छा रही है, पीली पीली छटा।
मुखर हो रहा मन मेरा।
आया वसंत, ले आया फ़िर
प्रीत मिलन की खुशियाँ।
गीत गा रही मधुर मिलन के,
मन की खिलती बगिया।
सदा की तरह इस बार भी वसंत बहार छाने लगी है। गर्मी की हलकी शुरुआत और ठण्ड की विदाई से सब रोमांचित हो रहे हैं। पर यह खुशी कुछ ही पलों की होती है। गर्मी की चिलचिलाहट से हम सभी बहुत घबराते हैं।
Tuesday, January 27, 2009
Monday, January 12, 2009
आइये गाज़र का हलवा बनायें
सबसे पहले गाज़र को धोकर छील लें। कद्दूकस कर लें। अब उसे एक ग्लास दूध और एक कटोरी मलाई के साथ धीमी आंच पर चढा दें आधे घंटे बाद उसकी आंच तेज़ कर दें। उसमे शक्कर, ड्राई फ्रूट्स, मावा मिलाये।१५-२० मिनट तक चलते रहें। यदि चिपकने लगे तो थोड़ा सा घी डाल लें। अब नारियल का चूरा और इलायची डालकर परोसें।
माटी
माटी की ममता माथे लगाकर,
धरती की समता का ओढ़ दुशाला।
पीढा को हरने का, खुशियों को बाँटने का,
हिल्मिलाता स्वप्न मैंने पाला।
स्वागत है, उनका जो इसे स्वीकार,
उनका भी स्वागत है जो इससे हारे।
हाथों में हाथ लिए साथ देना होगा,
इंसा को इंसानियत से मिलाना ही होगा।
आप भी हो जायें इसमे शामिल,
दूसरों को बनाये काम के
हमने जो सोचा है, सच व्ही होगा।
भारत हमारा सबसे आगे होगा।
आओ मिलकर देश को आगे ले चलें।
धर्म, जाती, रंग भेद से ऊपर उठें।
लायें नया विचार निराला,
जो बनाये देश को हरियाला-उजला ।
धरती की समता का ओढ़ दुशाला।
पीढा को हरने का, खुशियों को बाँटने का,
हिल्मिलाता स्वप्न मैंने पाला।
स्वागत है, उनका जो इसे स्वीकार,
उनका भी स्वागत है जो इससे हारे।
हाथों में हाथ लिए साथ देना होगा,
इंसा को इंसानियत से मिलाना ही होगा।
आप भी हो जायें इसमे शामिल,
दूसरों को बनाये काम के
हमने जो सोचा है, सच व्ही होगा।
भारत हमारा सबसे आगे होगा।
आओ मिलकर देश को आगे ले चलें।
धर्म, जाती, रंग भेद से ऊपर उठें।
लायें नया विचार निराला,
जो बनाये देश को हरियाला-उजला ।
युवा दिवस
कल शायद आपने भी युवा दिवस मनाया हो। जरा ये भी सोचिये की आपकी युवा होती बेटी की क्या समस्याएं हैं। उसके अध्ययन स्थल की, आने-जाने की, कपड़े चुनने की, विषय चुनने की या व्यवसाय चुनने की। बचपन की समस्याओं से तो माँ-बाप आराम से निपट लेते हैं, परन्तु युवा बेटियों की समस्याएं काफी जटिल होती हैं। उनकी समस्याओं को ध्यान से सुने और ठंडे दिमाग से उनका हल ढूंढे। यदि अधिक परेशानी हो तो सबंधित टीचर से सलाह लें। समय के साथ सामंजस्य बनाकर चलेंगे तो आपकी बेटी की मुश्किलें आसन हो जाएँगी। अपनी बेटी पर विश्वास करें और दुनिया में जीने के अच्छे गुर सिखाएं।
विचार
समय बीज के माध्यम से सीखता है, फसल के माध्यम से सिखाता है और बसंत के माध्यम से आनंद करता है। विलियम ब्लेक
Thursday, January 8, 2009
मज़ा आ गया
कल क्या मज़ेदार ठण्ड पड़ी। सारा दिन चाय के दौर चले। छुट्टी और ठण्ड के सभी ने मज़े लिए। मुझे लगता है इस वर्ष का सबसे ठंडा दिन रहा ८ जनवरी। क्या आपको भी कुछ ऐसा ही लगा। आपने चाय के साथ पकौडे भी जरुर खाए होंगे। मै जरा फिगर का ख्याल रखने लगी हूँ। इसलिए मैंने बस दो ही पकौडों से काम चलाया। हमने दल-बाटी का मज़ा भी लिया। रात में आग जलाकर बैठने का मज़ा ही और होता है। जगह और समय की कमी के कारण वह संभव नही। इसलिए हीटर से ही काम चलाया। मुबारक हो कड़कती ठण्ड और गरमागरम पकौडे।
Monday, January 5, 2009
आने वाली परीक्षा की तैयारी
परीक्षा का नाम सुनते ही हम घबरा से जाते हैं। सच है, परीक्षा शब्द ही कुछ अजीब है। किसी कक्षा की परीक्षा हो या विशेष विषय से सम्बंधित प्रवेश परीक्षा, डर तो लगता है। लेकिन यदि पूर्व से व्यवस्थित तौर-तरीके से पढाई की जाए तो हर परीक्षा को आसान बनाया जा सकता है। सबसे पहली बात है-समय का बंटवारा! समय को इस हिसाब से बँटे की आपके घर, स्कूल या कोलेज, कोचिंग सभी जगह आने-जाने के आलावा आप कितना समय अध्ययन में लगाते हैं। मतलब की आपने जो पढ़ाई एक दिन में की है, उससे आपको कितना ज्ञान मिला। केवल यहाँ से वहां भागते रहना ही पढ़ाई नहीं है। अपने सिलेबस को पढ़े, किताबें एकत्रित करें,फ़िर पढ़ाई आरम्भ करें। घबराने से बँटे कम भी बिगड़ जाते हैं। स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई में तो सिलेबस के आलावा समय सीमा का भी ध्यान रखें। पूरी तैयारी से परीक्षा में जाए। सफलता अवश्य मिलेगी।
Saturday, January 3, 2009
लुई ब्रेल
४ जनवरी १८०९ को फ्रांस में जन्मे लुई ब्रेल अंधों के लिए ज्ञान के चक्षु बन गए। ब्रेल लिपि के निर्माण से नेत्रहीनों की पढने की कठिनाई को मिटने वाले लुई स्वयम भी नेत्रहीन थे। अपने पिता के चमडे के उद्योग में उत्सुकता रखने वाले लुई ने अपनी आखें एक दुर्घटना में गवां दी। यह दुर्घटना लुई के पिता की कार्यशाला में घटी। जहाँ तीन वर्ष की उम्र में एक लोहे का सूजा लुई की आँख में घुस गया। http://elba.szs.uni-karlsruhe.de/global/images/Louis_Braille.jpg
Friday, January 2, 2009
नियंत्रित बुद्धि - आज की चुनौती
मानव जीवन की सबसे बड़ी समस्या है - अनियंत्रित और अनियमित मन और बुद्धि। यदि मनुष्य अपनी बुद्धि पर अंकुश नही लगायगा तो उसमे और जानवर में कोई फर्क नही रह जाएगा। वह जंगल के जानवरों के समान आचरण करने लगेगा । समाज को उछ्रंख्लता से बचने के लिए मानव की बौद्धिक उर्जा को कार्यों में बाँटना जरुरी है। प्रश्न पूछते समय विषय से भटका नही। ऐसा अक्सर होता है कुछ जानना होता है और हम पूछने कुछ और लगते हैं। इसलिए अपनी बुद्धि पर नियंत्रण रखकर कम करें।
Thursday, January 1, 2009
पहेली
ये जिन्दगी एक पहेली है, सोचा न था। कभी प्यार से बेहाल, कभी क्रोध से लाल। ये जिन्दगी एक पहेली है, देखा न था। कभी प्यार का सागर, कभी सूखी नदी। ये जिन्दगी एक पहेली हो, सोचा न था। कभी मुस्कुरा के स्वीकारा, कभी झिड़की से ठुकराया। ये जिन्दगी एक पहेली रहेगी, कभी ऐसा न हो। खुले दिल की दाद नही, बुझे दिल की बात नही। ये जिन्दगी एक पहेली ही तो है, शायद तुम्हे लगे न लगे।
नए साल की शुभकामनाएँ
नई राह में, नई चाह मे नया सवेरा आए। नई उमंगें , नई तरंगे नई उडान लाए। पूरी हो मंगल कामना, खुशियाँ दामन चूमे । ऐसा हो नव वर्ष आपका, सदा खुशी से झूमें। साल २००९ आपको और आपके परिवार को वह सब दे जिसका आपको इंतजार है।
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