
एक बार फिर बरसात का स्वागत है
मौसम की हिमाकत देखो, घेर लिया है मिलकर,
बरखा ,बदरा, बिजुरी,
चम्-चम् चमके बिजुरी ,
छम-छम बरसे बदरा.
बूंदों की थाप पर, हवा गा रही है
उनको सन लेके बहार आ रही है
सुना है शांति नाम है उसका,
किसी से कोई गिला नहीं, न किसी से कोई शिकवा।
न मिलने का सुख, न बिछड़ने का दुःख।
फिर भी सोचा मिल लूं।
देखना चाहा दिखी नहीं,
लोगों से पूछा पर पता न पाया।
क्या तुमने उसे देखा है?
दिखे तो दिखाना, मिले तो मिलाना।
मेरा पता ले लो,
बताना बुलाया है।
हो सका तो निमंत्रण भेज दूंगी,
मेसेज करुँगी या ईमेल कर दूंगी।
मेरे घर का सीधा-सादा पता है।
न दाये मुड़ना न बांये जाना,
वहां से निकलकर इधर आ जाना।
मै कब से उसी शांति को खोजती हूँ,
उसकी हर पल बाट जोहती हूँ.
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्रविढ़ उत्कल बंग
विंध्य हिमांचल जमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तब शुभ नामे जागे
तब शुभ आशिष मांगे
गाये तब जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जयजय हे
आप सोच रहे होंगे की मै आपको जन गन मन क्यों सुना रही हूँ?
नही मै आपको यह बता रही हूँ की हमारा राष्ट्रगान विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान चुना गया है।
पहुँच गई है पतंग वहाँ पर, भेज चाहा उसे जहाँ पर।
जाकर उनसे पूछ रही है, क्या मै पहुंची सही जगह पर?
क्या मै वह सब कह पाऊँगी ? जो चाहा है मन ने कहना,
कब मै वह सब कह पाऊँगी , चाहा है जो दिल ने कहना?
ठहर गई है पतंग वहीँ पर, भेजा था उसे जहाँ पर।
क्या फिर खुशियाँ मुझे मिलेंगी?
क्या इस धरा पर जीवन होगा खुशहाल?
कब बदलेंगे ये बदहाल?
?