Sunday, August 23, 2009

उनका प्रेमविवाह

उन्होंने कर लिया है,
अपनी मर्जी से प्रेमविवाह।
मुझे बताना जरुरी नही समझा,
सुना है दोनों साथ सो रहे हैं।
आते-जाते साथ है,
साथ घूम रहे है।
काश की हम, हमसफ़र हो जाते,
जहाँ वो जाते, हम भी पहुँच जाते।
उन्होंने हमें मौका नही दिया,
वरना हम भी पीछे पड़ जाते।
फोन पर भी उनके रहता है पहरा,
हंसने पर लगा है, प्रतिबन्ध गहरा।
मेरी तो शामत है, उनका प्रेमविवाह,
चाहे कुछ समय के लिए हो,
पर गहरा है विवाद।
अब तो ऊपर वाला ही मालिक है,
न जाने कब तलाक की तारिख है.

6 comments:

Mithilesh dubey said...

बेहतरिन रचना।

निर्मला कपिला said...

हा हा हा क्या खूब कही तलाक हो जाये तो एक कविता और दाग दीजियेगा आभार्

M VERMA said...

तलाक की तारीख नही आयेगी -- शर्त लगा लीजिए.

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

SUNDAR * * * * *

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं-
आपका शुभ हो, मंगल हो, कल्याण हो.

Sanjeet Tripathi said...

bahut khoob mohtarma

shubhkamnayein aapke aim k liye!