Wednesday, May 13, 2009

इंतजार

इंतजार रहता है, हर किसी को किसी का।
भोजन का हो चाहे भजन का ।
आने का हो चाहे जाने का।
मिलने का हो चाहे बिछड़ने का।
सब इसी उदेड-बुन मै लगे है।
कब ख़त्म हो यह सिलसिला इंतजार का।
जन्म और मृत्यु का भी इंतजार होता है।
शादी और बर्बादी का भी होता है इंतजार।
परीक्षा की डेट का करते हैं इंतजार।
फ़िर करने लगते हैं इंतजार रिजल्ट का।
कब ख़त्म हो यह सिलसिला इंतजार का।
छुट्टी का इंतजार बेसब्री से होता।
फ़िर होता कालेज खुलने का इंतजार।
पार्टी का इंतजार हर समय है रहता।
उसके बाद आता उत्सव का इंतजार।
कब ख़त्म हो यह सिलसिला इंतजार का।
बस आने का इंतजार, टिकट मिलने का इंतजार।
बस मै बैठे तो स्टाप आने का इंतजार।
क्लास मै टीचर के आने का इंतजार।
टीचर का बोरिंग लेक्चर ख़त्म होने का इंतजार।
कब ख़त्म हो यह सिलसिला इंतजार का।
लिस्ट बहुत लम्बी है, इंतजारों की ।
कभी न ख़त्म होगा सिलसिला इंतजार का.

2 comments:

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर said...

लिस्ट बहुत लम्बी है, इंतजारों की ।
कभी न ख़त्म होगा सिलसिला इंतजार का.

आपकी रचित कविता मे कुछ अलग ही बात है। मुझे अच्छा लगा।

हार्दिक मगलभावनाओ सहित-आभार

हे प्रभुश तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर

Udan Tashtari said...

बहुत अच्छे. आजकल इतना कम लिखा जा रहा है, आखिर क्यूँ?