बच्चे मन के सच्चे , सरे जग की आंखों के तारे------ १४ नवम्बर को हर वर्ष हम चाचा नेहरू का जन्मदिन मनाते हैं। इस वर्ष उनकी ११९ वी जयंती है। मैंने निश्चय किया है की मैं एक बच्चे को बाल-मजदूरी से मुक्त करूंगी। उसे शिक्षा दिलाने का प्रयास करुँगी। यह मेरा अपना विचार है। अगर आपके विचार भी कुछ ऐसे हों तो आप भी समाज को सुधरने के इस कार्य में शामिल हो जायेंगे।
Wednesday, November 5, 2008
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4 comments:
मैं भी लंबे समय से सोच रहा हूं. आप अपने प्रयास में सफल हों. वैसे भी अमीरों की भयानकता ने बच्चों की दुनिया अस्तव्यस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
aap apne pryaas mai safal ho jaengi kyoki aapne sach liya hai
बहुत ही उत्तम विचार!...
Ap bachchon ke bare men itana soach rahee han, yah bahut achchee bat ha.man bhee bachchon ke liye 30 salon se kam kar raha hoon.mere blog per apka swagat ha.shubhkamnaen.
Hemant Kumar
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