Friday, October 3, 2008

दृढ़ संकल्प


आज मै सुबह जागी तो दिमाग में रात के पेंडिग पड़े काम का ध्यान आ गया। कम्प्यूटर पर चार्ट बनाने का काम अभी पूरा नही हुआ था। फ़िर आज उसे ही लेकर बैठ गई। अपना काम ख़ुद करने से एक अजीब सी संतुष्टि मिलती है। कुछ ग़लत हो जाय तो भी फिकर नही। कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है। पहले मुझे कोई गलती बताता था तो बड़ा बुरा लगता था। पर अब आदत हो गई है। रोज कुछ नया सीखने से हमारा ज्ञान बढ़ता है। एक बार की बात है। एक लड़का था। वह रोज अख़बार बांटता । वह अक्सर भूल जाता की किसके घर कौन सा अख़बार देना है। उसे अगले दिन डांट पड़ती या माह के आखिरी में मिलने वाले बिल में काफी रूपये कट जाते। अब उसे बहुत बुरा लगा। उसने उसी दिन निश्चय किया की वह सब काम ठीक करेगा। उसने पुरे एरिये की लिस्ट बनाई और दिन भर घूम कर सब अख़बारों को कन्फर्म किया की किसके घर कौन सा अख़बार देना है। जब अगले माह का बिल आया और पूरे रुपये मिले तो वह बहुत खुश हुआ। कहने का मतलब यह है की अपनी गलती समझ कर उसे सुधरने से मन खुश ही होता है.

4 comments:

Unknown said...

इस प्रकार के छोटे पैराग्राफ लिखना अच्छी बात है परन्तु पहले यह सुनिश्चित कर ले कि किसके लिए और क्यो लिखा जा रहा है. अपने अनुभवों को इस प्रकार लिखना कि अपनी कथा में जन जन कि व्यथा मुखरित हो जाए ही लेखक की सफलता होती है. आशा है भविष्य में और भी उत्कृष्ट सामग्री पदने को मिलेगी. प्रयास अच्छा है.
शुभकामनाएं. .

Udan Tashtari said...

सही कहा आपने-जो अपनी गल्ती से सीख ले, उससे बेहतर

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

सही कहा आपने-अपनी गलती समझ कर उसे सुधरने से मन खुश ही होता है.

http://www.ashokvichar.blogspot.com

ऋषिकेश खोडके रुह said...

सही कहा आपने गलतीयो से सीख लेना ही चाहिए