Friday, October 31, 2008

दीपोत्सव


दीप एक ऐसा जलाएं , सारा जहाँ रोशन हो जाए। बाटें खुशियाँ ऐसे, सब खुश-खुश हो जायें। दीप-पर्व ऐसा त्यौहार है जिसे हर घर में उत्साह से मनाया जाता है। हमने भी मनाया और आपने भी मनाया होगा। गणपति-लक्ष्मी की पूजा के बाद घर को दीयों से सजाकर रोशन किया, मिठाइयों का भोग लगाकर बांटा और खाया। पर क्या हमने यह सोचा की हमारे देश के कितने लोग आज भूखे रहे? नहीं न! जरा सोच कर देखें. यदि हम अपनी जरूरतों में से थोड़ा सा कम कर किसी और को देकर देखें तो एक अजीब सी शान्ति मिलेगी. यही सही मायने में पर्व का हर्षोल्लास है. सभी को दीपोत्सव की शुभकामनायें।

Thursday, October 30, 2008

प्यार

मनुष्य गलती करता है, यही तो जिंदगी है, परन्तु प्यार करना कभी भी गलती नही होता। रोमन रोलेंड

दिमाग के कारण

सारी खराबियां ख़राब मस्तिषक की उपज हैं। यदि मस्तिष्क स्वच्छ हो जाए तो क्या कोई खराबी रह सकती है। गौतम बुद्ध

Friday, October 3, 2008

दृढ़ संकल्प


आज मै सुबह जागी तो दिमाग में रात के पेंडिग पड़े काम का ध्यान आ गया। कम्प्यूटर पर चार्ट बनाने का काम अभी पूरा नही हुआ था। फ़िर आज उसे ही लेकर बैठ गई। अपना काम ख़ुद करने से एक अजीब सी संतुष्टि मिलती है। कुछ ग़लत हो जाय तो भी फिकर नही। कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है। पहले मुझे कोई गलती बताता था तो बड़ा बुरा लगता था। पर अब आदत हो गई है। रोज कुछ नया सीखने से हमारा ज्ञान बढ़ता है। एक बार की बात है। एक लड़का था। वह रोज अख़बार बांटता । वह अक्सर भूल जाता की किसके घर कौन सा अख़बार देना है। उसे अगले दिन डांट पड़ती या माह के आखिरी में मिलने वाले बिल में काफी रूपये कट जाते। अब उसे बहुत बुरा लगा। उसने उसी दिन निश्चय किया की वह सब काम ठीक करेगा। उसने पुरे एरिये की लिस्ट बनाई और दिन भर घूम कर सब अख़बारों को कन्फर्म किया की किसके घर कौन सा अख़बार देना है। जब अगले माह का बिल आया और पूरे रुपये मिले तो वह बहुत खुश हुआ। कहने का मतलब यह है की अपनी गलती समझ कर उसे सुधरने से मन खुश ही होता है.

Wednesday, October 1, 2008

भारत के बापू और लाल दोनों को नमन




कल दो अक्टूबर है। भारत के इतिहास में दो अक्टूबर का दिन विशेष महत्त्व का है। इस दिन भारत की धरती पर ऐसे दो फूल खिले थे जिन्होंने पूरे देश को ऐसी खुशबू से महकाया की आज भी हम उसे महसूस कर रहे हैं। ऋणी है हम उनके द्वारा दिए गए आजाद भारत के। उन्ही के करा। आज हम खुली हवा में साँस ले रहें हैं।

शुभ नवरात्र


नवरात्र के पावन पर्व के साथ ही गरबे की धूम शुरू हो गई। भोपाल में पिछले १५ दिनों से गरबे का जोरदार प्रशिक्षण चल रहा है। नवरात्री पर्व पर व्रत और पूजा-पाठ क भी विशेष महत्त्व है। व्रत और वो भी जब नो दिन के हो तो सबसे बड़ी समस्या होती है फलाहार की। रोज-रोज नया क्या बनाया जाय। आज बनाएँ गरम-गरम आलू बड़े और खट्टी-मीठी चटनी। आलू उबालकर छिल ले । उसमे स्वादानुसार फलाहारी नमक, बारीक़ कटी हरी मिर्च, हरी धनिया मिलकर गोले बना ले। अब एक कटोरे में सिंघाडे का आटा थोड़ा सा नमक डालकर घोल ले। घोल ज्यादा पतला या गाढा न हो। आलू के बने गुए गोलों को घोल में डुबाकर तेल या शुद्ध घी में तल लें। चटनी बनने के लिए इमली ले । इमली धोकर थोड़े से पानी में गरम करे। उसमे थोड़ा शक्कर और नमक डाले । मसलकर छिलके हटा दे। आलू बड़े के साथ खाए और खिलाएं.