Sunday, July 4, 2010

हिमाकत




एक बार फिर बरसात का स्वागत है
मौसम की हिमाकत देखो, घेर लिया है मिलकर,
बरखा ,बदरा, बिजुरी,
चम्-चम् चमके बिजुरी ,
छम-छम बरसे बदरा.
बूंदों की थाप पर, हवा गा रही है
उनको सन लेके बहार आ रही है































































































































































3 comments:

Udan Tashtari said...

??

कुश said...

बहुत खूब...

Unknown said...

kripya meri bhi kavita padhe aur apni tippani den www.pradip13m.blogspot.com