मैं प्रश्न कर रही हूँ गर्भ से,
मेरे जीवन को छीनने का हक किसने दिया,
दादा-दादी को, नाना- नानी को,
जन्म का अंश देने वाले पिता को,
जन्म कर जीवन देने वाली माँ को।
मैं प्रश्न कर रही हूँ गर्भ से
मेरे जीवन का लाड़-प्यार
सगे संबंधियों का स्नेह-दुलार
क्या सिर्फ भाइयों के लिए है।
मैं प्रश्न कर रही हूँ गर्भ से
मैं भी हूँ पिता के प्यार की हकदार
मुझे भी है माँ के दुलार की दरकार
क्या तुम्हें है स्वीकार?
मैं प्रश्न कर रही हूँ गर्भ से,
माँ तुम दे सकोगी न मुझे,
जन्म देकर यह उपहार,
बस इतना करना मुझ पर उपकार!
मेरे जीवन को छीनने का हक किसने दिया,
दादा-दादी को, नाना- नानी को,
जन्म का अंश देने वाले पिता को,
जन्म कर जीवन देने वाली माँ को।
मैं प्रश्न कर रही हूँ गर्भ से
मेरे जीवन का लाड़-प्यार
सगे संबंधियों का स्नेह-दुलार
क्या सिर्फ भाइयों के लिए है।
मैं प्रश्न कर रही हूँ गर्भ से
मैं भी हूँ पिता के प्यार की हकदार
मुझे भी है माँ के दुलार की दरकार
क्या तुम्हें है स्वीकार?
मैं प्रश्न कर रही हूँ गर्भ से,
माँ तुम दे सकोगी न मुझे,
जन्म देकर यह उपहार,
बस इतना करना मुझ पर उपकार!