चुपके-चुपके, सबसे छुपके,
दबे पाँव आ रही है होली।
सबको मनके रंग दिखाने,
और सुनाने मन की बोली।
चाहो तो तुम भी रंग डालो,
और नही तो ख़ुद को रंग लो।
मुन्नी पप्पू गोलू चुन्नी
आज नही कोई भी बचेगा।
अपने साथी पशु और पक्षी
सब को अपने रंग, रंग लेगा।
इसकी चूनर उसकी टोपी,
सब हो जाए नीली पीली।
रंग भरी पिचकारी लेकर
दौडी लीना नीना रोली।
कोई डरकर छुप बैठा है,
अम्मा की खटिया के नीचे।
कोई सबको डरा रहा है,
बापू की कुटिया के पीछे।
होली का त्यौहार रंगीला,
मन मे रंग भरे है निराला।
तुम भी अपने रंग मे भीगो,
चाहे नीला, चाहे पीला।
होली मुबारक
Saturday, February 28, 2009
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